हरिद्वार: हरिद्वार स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में “एआई: विश्वास एवं भविष्य” विषय पर एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें देश-विदेश से आए एआई विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
लोकसभा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में एआई को मानवता, आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचार के साथ आध्यात्मिक मूल्यों का समावेश होना आज की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह सम्मेलन विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय का एक अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतीक बताते हुए आर्यभट्ट, आचार्य कणाद, पतंजलि जैसे वैज्ञानिकों के योगदान को रेखांकित किया।
संयुक्त राष्ट्र के एआई-विशेष आयोग के एशिया कमिश्नर एवं विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने एआई को भस्मासुर बनने से रोकने के लिए युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों को समाधान बताया।
सम्मेलन में स्विट्ज़रलैंड के IPU के महासचिव मार्टिल चुंगोंग, भारत सरकार के एआई मिशन के सीईओ डॉ. अभिषेक सिंह, स्टुअर्ट रसेल, रॉबर्ट ट्रैगर, जान टैलिन, नालंदा विवि के कुलपति डॉ. सचिन चतुर्वेदी समेत अनेक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने विचार साझा किए।
इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष स्वामी यतीश्वरानंद, विधायक मदन कौशिक, डीएम मयूर दीक्षित, एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोभाल, एचआरडीए उपाध्यक्ष अंशुल सिंह, प्रशासनिक अधिकारी एवं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
यह सम्मेलन न केवल एआई की तकनीकी चुनौतियों और संभावनाओं पर केंद्रित था, बल्कि भारत के आध्यात्मिक ज्ञान और वैज्ञानिक चिंतन को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का भी एक प्रभावशाली प्रयास रहा।
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