उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन की खुली पोल, छह दिनो बाद भी नहीं पहुंची मदद, ग्रामीणों ने मोर्चा खोलकर खुद संभाली जिम्मेदारी,,,
देहरादून: लगातार हो रही अतिवृष्टि ने उत्तराखंड के पहाड़ से लेकर मैदान तक तबाही मचा दी है। लेकिन सबसे चिंता का विषय यह है कि कई गांव आज भी प्रशासन की मदद से कोसों दूर हैं। टिहरी गढ़वाल का ग्राम गोठ/सकलाना, जो धनोल्टी से लगभग 8 किलोमीटर और देहरादून से करीब 35 किलोमीटर दूर है, बीते छह दिनों से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। ग्रामीणों का कहना है कि अब तक न तो कोई अधिकारी हाल जानने पहुंचा और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कोई कदम उठाया।
अतिवृष्टि से गांव का सड़क मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिससे गांव तक पहुंचना नामुमकिन हो गया है। फसलें और खलिहान पानी व मलबे की भेंट चढ़ गए, खाने-पीने का सामान और पशुओं के लिए चारे की भारी किल्लत है। स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हैं और बुजुर्गों व बीमार लोगों की हालत बेहद नाजुक है।
केवल गोठ/सकलाना ही नहीं, बल्कि भूत्सी, रवालीं और जमठियाल जैसे नजदीकी गांव भी आपदा की चपेट में हैं। टूटे रास्तों के कारण छात्र-छात्राओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है और गांव का बाहरी दुनिया से संपर्क लगभग कट गया है।
प्रशासन की अनुपस्थिति में ग्रामीणों ने मजबूरी में खुद ही राहत कार्य संभाल लिया है। लोग अपने स्तर पर पहाड़ी रास्तों की मरम्मत कर रहे हैं और आपसी सहयोग से जीवनयापन की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही मदद पहुंचाई जाएगी, लेकिन सवाल यह है कि आपदा प्रबंधन के बड़े-बड़े दावों के बावजूद छह दिन तक मदद क्यों नहीं पहुंच सकी? ग्रामीणों का कहना है कि यदि हालात पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
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