उत्तराखंड 3 शुभ योगों में मनेगा भाई दूज का पर्व, मृत्यु देव यमराज और माता यमुना की कथा से जुड़ा है पर्व, तिलक की विधि और दिशा का विशेष महत्व,,,,
देहरादून। दिवाली के बाद भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित पर्व भाई दूज इस वर्ष तीन शुभ योगों में मनाया जाएगा। इस बार यह पर्व 23 अक्तूबर, गुरुवार को पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, बहनों के लिए भाई के तिलक का 2 घंटे 15 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और तरक्की की कामना करेंगी।
शुभ मुहूर्त और योग
23 अक्तूबर को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:45 बजे से 05:36 बजे तक रहेगा, जो स्नान व व्रत संकल्प के लिए श्रेष्ठ माना गया है। वहीं अभिजीत मुहूर्त दिन 11:43 से 12:28 बजे तक रहेगा। इसके अतिरिक्त अमृत काल शाम 06:57 से रात 08:45 बजे तक शुभ फलदायी रहेगा।
तिलक की दिशा और विधि
शास्त्रों के अनुसार, भाई को तिलक करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखना शुभ होता है। उत्तर दिशा धन और अवसरों की दिशा मानी जाती है, जबकि पूर्व दिशा ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
सुबह स्नान कर बहनें व्रत का संकल्प लें और एक थाली सजाएं जिसमें गोला, कलावा, रोली, अक्षत, दीपक और मिठाई रखें। पहले थाली की पूजा करें, फिर शुभ मुहूर्त में भाई के माथे पर रोली-अक्षत का तिलक लगाएं, कलावा बांधें, आरती करें और भाई का मुंह मीठा कराएं। इसके बाद भाई बहन को उपहार देकर आशीर्वाद ग्रहण करे।
पौराणिक कथा और मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यमराज और यमुना इस पर्व से जुड़े हैं। भगवान सूर्यदेव के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना के स्नेह को याद करते हुए यह पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि यमराज इस दिन यमुना से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। यमुना उन्हें प्रेमपूर्वक तिलक कर आतिथ्य देती हैं। इसी परंपरा से भाई दूज की शुरुआत हुई।
उत्तरकाशी के यमुनोत्री में यमुना का उद्गम स्थल और नचिकेता ताल में यमराज की गुफा आज भी इस कथा के साक्षी माने जाते हैं।
पारिवारिक प्रेम का प्रतीक
भाई दूज केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भावनाओं और संबंधों का उत्सव है। इस दिन बहनें अपने भाई के सुख-समृद्धि की मंगलकामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहनों की रक्षा और स्नेह का वचन देते हैं। यह पर्व रिश्तों की मिठास और अपनापन को सशक्त करने का प्रतीक है।
More Stories
उत्तराखंड सीएम धामी ने दिखाई मानवीय संवेदनशीलता, ब्लड कैंसर पीड़ित बालक के उपचार हेतु परिजनों से बात कर दिया हरसंभव सहायता का आश्वासन,,,,
उत्तराखंड बाबा केदारनाथ के कपाट विधिवत शीतकाल हेतु बंद: पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में गूंजे “हर हर महादेव” के जयघोष,,,,,
उत्तराखंड हरिद्वार आगामी अर्धकुंभ की तैयारियां जोरों पर, इन चार जिलों में 670 हेक्टेयर एरिया होगा दर्शनीय,,,,,