उत्तरकाशी में खौफनाक बरसात से मची दहशत के चलते लोगों ने दहशत में बिताईं पुरी रात, वरूणावत पर्वत ने 2 दशकों बाद दिखाया तांडव,,,,
उत्तरकाशी- उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में मंगलवार देर शाम शुरू हुई भारी बारिश देर रात तक जारी रही, जिसने जमकर कहर बरपाया। बारिश ने लोगों को दहशत में ला दिया। करीब तीन से चार घंटे से लगातार मूसलाधार बारिश के चलते गंगोत्री हाईवे जगह-जगह तालाब में तब्दील हो गया है। ज्ञानसू क्षेत्र में पाडुली गाड़ और मैणा गाड़ उफान पर आ गई। वरूणावत पर्वत से रूक-रूककर बोल्डर गिरे, जिससे घबरा कर गोफियारा क्षेत्र में कई परिवार अपने घरों से बाहर निकल आए। गोफियारा क्षेत्र में भी गदेरे के उफान पर आने से सड़क पर खड़े दोपहिया वाहन मलबे में दब गए।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी व आसपास के क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने के कारण नालों में काफी पानी और मलवा आया है। जिसे देखते हुए प्रशासन के द्वारा गोफ़ियारा क्षेत्र से कुछ घरों के लोगों को अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर जाने और क्षेत्र में रह रहे लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है। जिला मुख्यालय पर आपदा प्रबंधन तंत्र को अलर्ट करते हुए सभी जिम्मेदार अधिकारियों को नियंत्रण कक्ष में बुला लिया गया है। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट आपातकालीन परिचालन केंद्र में पहुंचे।
जिलाधिकारी द्वारा जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ की स्थिति की समीक्षा कर किसी भी संभावित स्थिति से निपटने की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। अभी तक कहीं से किसी भी प्रकार के जान माल की क्षति की सूचना नहीं है। नगर क्षेत्र में गुफ़ियारा नाले के निकट तथा अन्य जगहों पर सड़कों पर जमा मलवे को हटाया जा रहा है।
वरुणावत पर्वत से रात को आवासीय कॉलोनी जल संस्थान के निकट बोल्डर गिरने से अफरातफरी मची। लोग घरों से बाहर सड़कों पर निकले। घटना के बाद डीएम सहित आलाधिकारियों ने मोर्चा संभाला। वरुणावत एक बार फिर 21 साल बाद सक्रिय होने लगा है। इससे लोग दहशत में हैं। लोगों को कैलाश आश्रम, बाबा काली कमली धर्मशाला में रुकवाया गया।
वरुणावत पर्वत पर वर्ष 2003 में भूस्खलन हुआ था । भूस्खलन ने 2003 में एक बड़े भूस्खलन ने क्षेत्र में लगभग 100 इमारतों को आंशिक रूप से या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था और अन्य 100 को खतरे में घोषित किया गया था।
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