उत्तराखंड में अब आवासीय कल्याण समितियों को राहत, सरकार ने स्टाम्प शुल्क घटाया, जमीन की रजिस्ट्री में होगी आसानी,,,,,,
देहरादून: आवासीय सोसाइटी में सबसे ज्यादा कानूनी विवाद सोसाइटी परिसर के भीतर की पार्क, सड़क की जमीनों को लेकर होता है। बिल्डर आवास तो बेच देता है लेकिन भीतर की ये जमीनें रजिस्टर्ड नहीं करता।
प्रदेश की 500 से अधिक पंजीकृत आवासीय कल्याण समितियों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। समिति के भीतर की सड़क, पार्क आदि की जमीन अब रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) अपने बिल्डर से रजिस्ट्री करा सकेंगी। सरकार ने इसके लिए स्टाम्प शुल्क में 10,000 रुपये की छूट दे दी है।
आवासीय सोसाइटी में सबसे ज्यादा कानूनी विवाद सोसाइटी परिसर के भीतर की पार्क, सड़क की जमीनों को लेकर होता है। बिल्डर आवास तो बेच देता है लेकिन भीतर की ये जमीनें रजिस्टर्ड नहीं करता। बाद में आरडब्ल्यूए रजिस्ट्री चाहती है तो इसमें परेशानी आती है। दोनों के बीच विवाद बढ़ते हैं। इन विवादों को खत्म करने के लिए धामी कैबिनेट ने 15 अप्रैल को ऐसी भूमि की रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क में 10,000 रुपये की छूट देने का निर्णय लिया था।
शासन में सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने इसका शासनादेश जारी कर दिया है। अब प्रमोटर और आवंटियों के बीच इन जमीनों को लेकर कानूनी विवाद नहीं होंगे। पहले इसमें पूरी स्टाम्प ड्यूटी लगती थी।
आवास विभाग भी ऐसे नियम बनाए
सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने कहा कि आवासीय सोसाइटी के लिए कानूनी विवाद खत्म करने को यह बदलाव तो लागू हो गया है। अब आवास विभाग को भी कहा जा रहा है कि वह ऐसे नियम बनाए, जिससे आवासीय सोसाइटी में कानूनी विवाद खत्म हों। उत्तर प्रदेश में आरडब्ल्यूए नियम लागू हैं। उत्तराखंड में भी इस दिशा में काम किया जा रहा है। इससे सोसाइटी में संपत्तियों का पंजीकरण आसान होगा।
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