उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश से लबालब भरी टिहरी झील, जल्द अपने अधिकतम लेबल तक पहुंच जाएगा पानी,,,,
टिहरी: वर्ष 2005 में टिहरी बांध की झील बनकर तैयार हो गई थी। 42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में झील बनने के बाद वर्ष 2010 और 2013 में झील में सबसे अधिक पानी आया था।
टिहरी बांध की झील अपनी अधिकतम क्षमता 830 आरएल (रीवर लेबल) पानी भरने की क्षमता अगले चार-पांच दिन में पूरा कर लेगी। झमाझम बारिश से टिहरी झील पानी से लबालब हो गई है। इन दिनों भागीरथी और भिलंगना नदी से 900 क्यूमेक्स पानी प्रतिदिन झील में आ रहा है। अधिक पानी आने से टीएचडीसी को बांध के ऊपरी हिस्से में बनाए गए दो अनगेटेड साफ्ट स्पिलवे से पानी छोड़ना पड़ रहा है। झील से टीएचडीसी 800 क्यूमेक्स पानी का डिस्चार्ज कर रही है।
वर्ष 2005 में टिहरी बांध की झील बनकर तैयार हो गई थी। 42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में झील बनने के बाद वर्ष 2010 और 2013 में झील में सबसे अधिक पानी आया था। अधिक पानी छोड़ने के लिए टीएचडीसी को स्पिलवे से पानी छोड़ना पड़ा था। टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने बताया कि टिहरी झील को 830 मीटर तक भरने की अनुमति प्राप्त है।
इस मानसून सीजन में अच्छी खासी बारिश होने से बृहस्पतिवार तक झील में 826.11 आरएल (रीवर लेबल) पानी भर चुका है। झील में अब सिर्फ 3 मीटर पानी भरने की क्षमता रह गई है। जल स्तर बढ़ने से बिजली का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। इन दिनों टिहरी बांध और पीएसपी परियोजना तथा कोटेश्वर बांध से 1986 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। पीएसपी परियोजना का निर्माण अगले दो-तीन माह में पूरा होने के बाद बाध से 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन का लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
अधिशासी निदेशक जोशी ने बताया कि झील में कुल 1200 क्यूमेक्स पानी आ रहा है। जिसमें 500 क्यूमेक्स भागीरथी, 400 क्यूमेक्स भिलंगना और 300 क्यूमेक्स पानी अन्य सहायक नदियों से आ रहा है। उनका कहना है कि झील में पानी का जल स्तर बढ़ने से किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। झील की हर समय निगरानी की जा रही है। झील का जलस्तर बढ़ने से कही कोई नुकसान नहीं हुआ है।
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