उत्तराखंड “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” पर लाखों बलिदानियों को दी जाएगी भावभीनी श्रद्धांजलि- जगदीश लाल पाहवा
हरिद्वार: उत्तरांचल पंजाबी महासभा (रजि.) के तत्वावधान में 14 अगस्त 2025 को शाम 04:30 बजे गोविन्द घाट, गोविन्दपुरी, हरिद्वार में “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के अवसर पर एक भव्य श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है । यह दिवस प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा घोषित है, जिसका उद्देश्य 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी में बलिदान हुए लाखों निर्दोष नागरिकों, स्वतंत्रता सेनानियों और विस्थापित परिवारों की स्मृति को जीवित रखना है ।
आज की मुख्य बैठक में कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए आज कार्यक्रम संयोजक श्री जगदीश लाल पाहवा के कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई । बैठक में आयोजन समिति के सभी पदाधिकारी, समाज के वरिष्ठजन एवं युवा सदस्य उपस्थित रहे ।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि श्रद्धांजलि कार्यक्रम में –
• विभाजन पीड़ित परिवारों की स्मृतियों को मंच से साझा किया जाएगा ।
• दीप प्रज्वलन और मौन श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी ।
• ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर संक्षिप्त वक्तव्य और विभाजन पर लिखे गए शबद-कीर्तन का गायन होगा ।
• पीड़ितों की स्मृति में दीप ज्योत जलाकर गंगा में प्रवाहित की जाएंगी, जो “आत्माओं की शांति” का प्रतीक होगा ।
कार्यक्रम संयोजक वरिष्ठ समाजसेवी जगदीश लाल पाहवा ने बताया की विभाजन केवल सरहदों का नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों का बंटवारा था । इसकी पीड़ा आज भी हमारे दिलों में ताज़ा है। “हमारी माताओं-बहनों ने जो कठिनाइयाँ झेली, उन्हें याद करना और सम्मान देना हम सबका कर्तव्य है। उत्तरांचल पंजाबी महासभा हरिद्वार के जिलाध्यक्ष प्रवीण कुमार ने बताया की “यह दिवस हमारी पीढ़ियों को एकजुट रहने और अपने सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने की प्रेरणा देता है। हमें इतिहास की इन त्रासदियों से सीख लेकर, आपसी भाईचारा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना होगा । बैठक में मुख्य रूप से महामंत्री प्रदीप कालरा, जिलाउपाध्यक्ष राजू ओबराय, पूर्व जिलाध्यक्ष परमानन्द पोपली, सचिन हांडा, विक्की तनेजा, देवेन्द्र चावला, रवि पाहवा, सुनील गाबा, परमिन्द्र सिंह (सभासद विष्णुगार्डन, हरिद्वार), हिमांशु चौपड़ा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे |
“यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह बताने का एक प्रयास है कि आज़ादी की कीमत कितनी बड़ी थी और विभाजन का दर्द कितना गहरा होता हैं।
उपस्थित लोगों ने नागरिकों, सामाजिक संगठनों एवं युवाओं से आग्रह है कि समय पर उपस्थित होकर ऐतिहासिक स्मृति के साक्षी बनकर श्रद्धांजलि अर्पित करें।
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