उत्तराखंड “संपत्ति विवरण नियम” सख्ती से लागू, पारदर्शिता हेतु सरकारी कर्मचारियों को अब हर खरीद पर लेनी होगी विभाग से पूर्व अनुमति,,,,
नैनीताल- उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद 2002 की आचरण नियमावली को और अधिक सख्ती से लागू कर दिया है। मुख्य सचिव के आदेशों के बाद अब सभी विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारी अपनी नियुक्ति के समय और उसके बाद हर पाँच वर्ष में अपनी चल-अचल संपत्ति का पूरा विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें।
नियमों के अनुसार, ₹5,000 या एक महीने के वेतन (जो कम हो) से अधिक कीमत वाली किसी भी चल संपत्ति—जैसे मोबाइल, लैपटॉप, सोना, बाइक आदि—की खरीद से पहले विभाग को सूचना देना और अनुमति लेना आवश्यक होगा। यह प्रावधान अब तक ढीला पड़ा था, जिसे हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए कड़े अनुपालन का निर्देश दिया है।

इसके साथ ही, कर्मचारियों को अपने जीवनसाथी तथा एक ही घर में रहने वाले परिवार के सदस्यों की संपत्ति का विवरण भी अनिवार्य रूप से देना होगा। यह विवरण न देने या गलत जानकारी देने की स्थिति में पदोन्नति प्रभावित हो सकती है और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी संभव है।
हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में राज्य सरकार से स्पष्ट कार्ययोजना पेश करने को कहा है, जिसके बाद मुख्य सचिव ने सभी विभागों को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। सरकार का मानना है कि यह व्यवस्था भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और शासन में नैतिकता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

सरकार के बेहतरीन कदम से अब उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों को अपनी और अपने परिवार की संपत्तियों की सटीक और समय पर घोषणा करना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे सरकारी तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही पहले से और अधिक मजबूत होना तय माना जा सकता है।



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