उत्तराखंड सुभारती मेडिकल कालेज ने MCI के नियमों के विरुद्ध फीस लेकर 300 MBBS छात्रों को दिया दाखिला, सरकारी मेडिकल कालेजों में पढ़ रहे हैं छात्र, अब DM ने काटी RC,,,,,

देहरादून: श्री देव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय से 87.63 करोड़ रुपये की वसूली के लिए जिला प्रशासन ने रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी कर दिया है। तय समय में राशि जमा न होने की स्थिति में कॉलेज की संपत्ति कुर्क कर नीलामी के जरिए वसूली की जाएगी। यह कार्रवाई उत्तराखंड के चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. अजय कुमार आर्य के अनुरोध पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने की है।
मामला उन 300 एमबीबीएस छात्र–छात्राओं से जुड़ा है, जिन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध न होने के बावजूद सुभारती मेडिकल कॉलेज ने प्रवेश दे दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन सभी छात्रों को राज्य के तीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट किया गया। कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, इन छात्रों से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लागू शुल्क ही लिया गया, जबकि निजी शुल्क पहले ही सुभारती मेडिकल कॉलेज द्वारा वसूला जा चुका था।

बिना मानकों के प्रवेश, फिर सुप्रीम कोर्ट की दखल
देहरादून के नंदा की चौकी क्षेत्र के कोटड़ा संतौर में स्थित यह मेडिकल कॉलेज डॉ. जगत नारायण सुभारती चैरिटेबल ट्रस्ट के अधीन संचालित है। संस्थान ने भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी किए बिना शैक्षणिक सत्र 2016–17 में 150 और 2017–18 में भी 150 छात्रों को एमबीबीएस में प्रवेश दे दिया।
सत्र 2017–18 में प्रवेश पाने वाले 74 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि कॉलेज में पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं हैं और वे वहां अध्ययन जारी नहीं रखना चाहते। सुनवाई के दौरान एमसीआई ने भी सवाल उठाया कि क्या इन छात्रों को अन्य संस्थानों में स्थानांतरित किया जा सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2019 को आदेश दिया कि कुल 300 छात्रों को राज्य के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए।
सरकार पर पड़ा अतिरिक्त बोझ, वसूली का फैसला
छात्रों के स्थानांतरण से उन्हें राहत मिली, लेकिन राज्य सरकार पर एक अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज के बराबर आर्थिक बोझ आ गया। जांच में यह तथ्य सामने आया कि बिना पर्याप्त संसाधनों के छात्रों से निजी दरों पर शुल्क वसूला गया, जबकि उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी अंततः सरकार को उठानी पड़ी। इसी आधार पर सुभारती मेडिकल कॉलेज से 97.13 करोड़ रुपये की वसूली का निर्णय लिया गया।
अदालतों में चली लंबी लड़ाई
सरकार द्वारा पहली बार वसूली नोटिस जारी किए जाने पर कॉलेज प्रशासन ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। एकल पीठ ने अंतरिम राहत देते हुए 25 करोड़ रुपये निदेशक चिकित्सा शिक्षा के पक्ष में जमा कराने का निर्देश दिया, लेकिन कॉलेज इसके लिए तैयार नहीं हुआ और एसएलपी दायर की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह राशि घटाकर 15 करोड़ रुपये कर दी, जिसे कॉलेज ने जमा करा दिया।
बाद में सरकार ने शेष राशि 87.63 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस जारी किया। इस पर कॉलेज ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। एकल पीठ का वसूली पर रोक संबंधी अंतरिम आदेश भी 23 जुलाई 2019 तक ही प्रभावी रहा और आगे नहीं बढ़ाया गया।
अब संपत्ति कुर्की तक की तैयारी
कानूनी अड़चनों के खत्म होने के बाद वसूली का रास्ता साफ हो गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के आग्रह पर जिला प्रशासन ने अब आरसी जारी कर वसूली की प्रक्रिया तेज कर दी है। निर्धारित समय में भुगतान न होने पर कॉलेज की संपत्तियों को कुर्क कर नीलामी के जरिए सरकारी धन की भरपाई की जाएगी।

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