October 23, 2025

उत्‍तराखंड हरिद्वार आगामी अर्धकुंभ की तैयारियां जोरों पर, इन चार जिलों में 670 हेक्टेयर एरिया होगा दर्शनीय,,,,,

उत्‍तराखंड हरिद्वार आगामी अर्धकुंभ की तैयारियां जोरों पर, इन चार जिलों में 670 हेक्टेयर एरिया होगा दर्शनीय,,,,,

हरिद्वार: हरिद्वार अर्धकुंभ मेला उत्तराखंड के चार जिलों में 670 हेक्टेयर क्षेत्र में आयोजित होगा। यह क्षेत्र हरिद्वार से देवप्रयाग तक फैला होगा, जिसमें कई प्रमुख घाट शामिल हैं। इस आयोजन से पौड़ी और टिहरी जिलों में धार्मिक पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सरकार हरिद्वार की तरह ही देवप्रयाग में भी कुंभ महोत्सव मनाने की योजना बना रही है।

हरिद्वार अर्धकुंभ के लिए मेला क्षेत्र निर्धारित कर लिया गया है। अर्धकुंभ मेला क्षेत्र सिर्फ हरिद्वार तक सीमित नहीं रहेगा। उत्तराखंड के चार जिलों के 670 हेक्टेयर मुख्य क्षेत्र में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होगा। कैंप, पार्किंग और मुख्य संचालन क्षेत्र मिलाकर अर्धकुंभ क्षेत्र करीब 1454 हेक्टेयर में फैला होगा। हरिद्वार से देवप्रयाग तक अर्धकुंभ मेला क्षेत्र का विस्तार होगा। यह क्षेत्र अर्धकुंभ का नोटिफाइड क्षेत्र घोषित होगा, जो हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी जिलों के हिस्सों में आएगा।

देहरादून जिले में ऋषिकेश के त्रिवेणी, नीलकंठ, गीता भवन, लक्ष्मण झूला, राम झूला अर्धकुंभ क्षेत्र में शामिल हैं। इन घाटों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्थाओं का विशेष प्रबंध किया जाएगा। टिहरी जिले में तपोवन, मुनी की रेती को अर्धकुंभ क्षेत्र में शामिल किए गए हैं। पौड़ी जिले में नीलकंठ, स्वर्गाश्रम, गीता भवन, ओंकारानंद, वशिष्ठ और गोविंद घाट के साथ नीलकंठ मार्ग के तटीय घाट प्रमुख स्नान स्थल हैं। हरिद्वार में हरकी पैड़ी, मालवीय घाट, सुभाष घाट, गौ घाट, कुशावर्त घाट, भीमगोडा घाट, नारायणी शिला घाट, चंडी घाट व भूपतवाला घाट अर्धकुंभ की परिधि में आ रहे हैं।

अर्धकुंभ से पौड़ी-टिहरी जिले काे बड़ी उम्मीदें
पौड़ी-टिहरी जिले के गंगा घाट पहले भी कुंभक्षेत्र में शामिल किए गए हैं, लेकिन उन्हें अपेक्षित महत्व नहीं मिल पाया। इसलिए इस बार सरकार की मंशा है कि हरिद्वार की तरह ही देवप्रयाग तक कुंभ महोत्सव मनाया जाए। हर की पैड़ी पर अर्धकुंभ का जो नजारा होगा, ठीक वैसा ही माहौल और सुविधाएं श्रद्धालुओं को देवप्रयाग में उपलब्ध कराई जाएंगी।

इससे पौड़ी और टिहरी जिलों में धार्मिक पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। टिहरी जिले के तपोवन और मुनी की रेती जैसे क्षेत्रों में घाटों और सड़कों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, इससे इन क्षेत्रों में आध्यात्मिक पर्यटन बढ़ेगा। स्थानीय व्यापारियों, होटल संचालकों और ट्रैवल एजेंसियों को भी अर्धकुंभ में अच्छे कारोबार की संभावना है।

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