उत्तराखंड हरिद्वार के ज्वालापुर में मची गुघाल मेले की धूम, श्रद्धा, संस्कृति और उत्सव का अद्भुत संगम है यह मेला,,,,
हरिद्वार: ज्वालापुर क्षेत्र में इन दिनों गुघाल मेले की भक्ति, रंग और रौनक चरम पर है। पांडेवाला मोहल्ले में स्थित प्राचीन गोगा जी मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। मंदिर की घंटियों की गूंज, गोगा वीर के जयकारों और ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ पूरा इलाका भक्तिमय हो गया है।
गोगाजी की छड़ी निकली नगर भ्रमण पर
मेले का मुख्य आकर्षण — गोगाजी की पवित्र छड़ी — पूरे नगर में भव्य शोभायात्रा के रूप में घुमाई गई। छड़ी के स्वागत में लोगो ने सड़कों पर फूल बिछाकर घरों की छतों से श्रद्धालु दर्शन किए और भजन-कीर्तन की टोली हर मोड़ पर वातावरण को और पावन बना रहा। शहर के सभी लोग इस पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना कर गोगा महाराज जी का आशीर्वाद लेते हैं।
ऐसी मान्यता है कि “गोगा वीर जी हर कष्ट हरते हैं… उनकी छड़ी घर आती है तो सुख-समृद्धि अपने आप आ जाती है,”
उत्सव का माहौल: झूले, पकवान और लोक सांस्कृतिक झलक
गुघाल मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति का उत्सव बन गया है। मेले में लगी झूले, खेल-खिलौनों की दुकानें, मिट्टी के बर्तन, हाथ की बनी राखियां और पारंपरिक व्यंजन लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।
गोलगप्पे, चाट, जलेबी और खीर की महक चारों ओर फैली हुई है। बच्चे झूलों पर झूम रहे हैं, महिलाएँ लोकगीत गा रही हैं और युवा सेल्फी लेकर इस पल को संजो रहे हैं।
प्रशासन सतर्क, सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतज़ाम
हरिद्वार पुलिस एवं नगर निगम की ओर से मेले में सुरक्षा, सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। सीसीटीवी कैमरे, बैरिकेडिंग और होमगार्ड की तैनाती ने श्रद्धालुओं को सुरक्षा का भरोसा दिलाया है।
एकता और आस्था का प्रतीक
गोगा जी महाराज को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु उन्हें गोगा वीर और गोगा पीर दोनों नामों से पूजते हैं। यही कारण है कि इस मेले में हर धर्म और हर जाति के लोग प्रेमपूर्वक शामिल होते हैं।
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