December 28, 2024

उत्तराखंड हरिद्वार गंगा तट पर हुआ कवि सम्मेलन, नामी कवियों ने लिया भाग- ‘‘ मुझको क्या चाहिए उसको सब है खबर, है तो पर्दा मगर फिर भी पर्दा नहीं‘”

उत्तराखंड हरिद्वार गंगा तट पर हुआ कवि सम्मेलन, नामी कवियों ने लिया भाग- ‘‘ मुझको क्या चाहिए उसको सब है खबर, है तो पर्दा मगर फिर भी पर्दा नहीं‘”


हरिद्वार- धर्मानगर हरिद्वार में गंगा के तट पर हुआ कवि सम्मेलन देवेन्द्र सिंह रावत के आयोजन तथा कवि दिव्यांश दुष्यंत के संयोजन एंव संचालन में प्रेम नगर आश्रम गंगा घाट पर हुआ कवि सम्मेलन जिसमें देश के नामी कवियों ने भाग लिया। देश के प्रसिद्ध, गीतरकार भूदत्त शर्मा जिन्होंने कहा ‘‘उसको छूकर मैनें जाना की आग से जलना क्या होता है। देश की प्रसिद्धि कवयित्रि मीरा नवेली  जिन्होंने कहा‘‘ मुझको क्या चाहिए उसको सब है खबर, है तो पर्दा मगर फिर भी पर्दा नहीं‘‘ युवा कवि दिव्यांश दुष्यंत जिन्होंनें अपने शब्दों के माध्यम से ‘‘रैप कल्चर‘‘ को चुनौती दी, उनका एक छंद
‘‘ शिवा ‘शिवा शंकर
रूप भंयकर
विश्व प्रलयंकर
नमन करू
मैं धर कर धीरज
हाथ पर नीरज
शीश झुकाकर नमन करू‘‘
और इसी में एक युवा कवियित्री
मनीषा भंडारी जिन्होंने सिया राम जी के प्रेम प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा ‘‘राम सिया को निहारे, सिया राम को निहारे, नैना अनिमेष मिलें, मंद-मंद मुस्कावें‘‘ और इसी श्रृंखला में एक युवा शायर आलोक यादव जसनूर ने अपने शेरों के माध्यम से बहुत से संदेश लोगों तक पहुचाएँ तथा इश्क को लेकर उन्होंने कहा की है इतनी जिन्दगिंया बर्बाद, ऐ इश्क फिर भी तेरा नाम क्यों पाक चीजों में लिया जाता है।‘‘

इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हरिद्वार की कुछ नामचीन हस्तियाँ भी कार्यक्रम में उपस्थित हुई जिसमें डॉ. विशाल गर्ग  जिन्होंने कहा कि ‘‘माँ‘‘ गंगा हरिद्वार की धरोहर है तथा कविताओं को एंव साहित्य को ऐसी कार्यक्रम के माध्यम से आर्शीवाद मिलते रहना चाहिए‘‘, भगवा हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा संस्थापक संदीप रोड भी वहाँ उपस्थित रहें जिन्होंनें कहा कि ‘‘वह साहित्य के लिए पूर्णतः समर्पित है एंव तन,मन,धन जो भी आवश्यकता साहित्य की होगी, उस प्रकार से हम साहित्य की सेवा करेंगें‘‘ और हमारे हरिद्वार की एक वरिष्ठ समाज सेवा श्रीमति सर्वेश रानी चौहान को ऐसे कार्यक्रमों की बहुत आवश्यकता है तथा इस कार्यक्रम के आयोजक श्री देवेन्द्र सिंह रावत जी ने साहित्य के प्रति लगाव दिखाते हुए कहा‘‘ साहित्य भी एक भक्ति का ही मार्ग है। कविताएँ लैकिक प्रेम को आलौकिक प्रेम से जोड़ने का कार्य करती है, तो इसलिए हम साहित्य के जरिए इस लक्ष्य तक पहुँचनें का प्रयास कर रहें है।‘‘
हरिद्वार के कवि न केवल उतराखण्ड तक समिति रहें अपितु देश-विदेश तक जाए अब इस मुहिम को शुरू किया है और आप सभी के सहयोग से हम पहले चरण तक पहुँच पाए है, आशा हम सब इस श्रृंखला की और आगे लेकर जाए।

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