उत्तराखंड हरिद्वार नगर निगम में 54 करोड़ के भूमि घौटाले में दो IAS और एक PCS पाए गए दोषी करार, जांच अधिकारी ने सचिव को सौंपी रिपोर्ट,,,
हरिद्वार: हरिद्वार नगर निगम में 54 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने अपनी रिपोर्ट सचिव शहरी विकास को सौंप दी है। गंभीर यह है कि जांच में घोटाले में 02 आईएएस और 01 पीसीएस अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जिनमें हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी, हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह और उपजिलाधिकारी अजयवीर सिंह के नाम शामिल हैं। जांच में इस तरह बड़ी मछलियों के पकड़ में आ जाने के बाद खलबली मची है। इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्त छवि भी सामने आई है।
सरकार की ओर से वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान को जांच अधिकारी बनाए जाने के बाद से ही साफ हो रहा था कि अब प्रकरण में लीपापोती संभव नहीं हो पाएगी। उन्होंने मई माह के प्रथम सप्ताह में हरिद्वार में घपले से जुड़ी सराय क्षेत्र की 33 बीघा जमीन का दौरा किया था। आपको बता दें कि यह मामला 15 करोड़ रुपये की उस भूमि से जुड़ा है, जिसे नगर निगम ने 54 करोड़ रुपये में ख़रीदा।
मनचाही कीमत पर भूमि खरीद की राह आसान बनाने के लिए अधिकारियों ने भूमि को वास्तविक कीमत को बढ़ाने के लिए लैंडयूज परिवर्तन और सर्किल रेट का गलत तरीके से लाभ उठाया। इस भूमि की खरीद नगर निगम ने रिंग रोड परियोजना में अधिग्रहीत की गई भूमि के बदले मिले मुआवजे की राशि से की। यह मामला कुछ वैसा ही है, जैसे एनएच 74 में खेल किया गया था।
पूर्व में इन पर हो चुकी कार्रवाई
हरिद्वार नगर निगम द्वारा बाजार भाव से अधिक दर पर भूमि खरीदे जाने के प्रकरण में प्रथम द्रष्टया दोषी पाए गए चार अधिकारियों को निलंबित किया गया था और एक अन्य अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया। दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर नगर निगम हरिद्वार द्वारा सराय गांव में भूमि खरीद मामले में यह सख्त कार्रवाई की गई थी। जांच में पाया गया कि उक्त भूमि की खरीद के लिए गठित समिति के सदस्य के रूप में हरिद्वार नगर निगम के अधिशासी अधिकारी श्रेणी-2 (प्रभारी सहायक नगर आयुक्त) रवीन्द्र कुमार दयाल, सहायक अभियंता (प्रभारी अधिशासी अभियंता) आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट।
और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल ने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया। इस आरोप में सभी अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। प्रकरण में सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक वेदपाल की भी संलिप्तता पायी गयी जिसके बाद सेवा विस्तार समाप्त करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही हरिद्वार नगर निगम की वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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