September 3, 2025

 “एकादशी पर चावल क्यों है वर्जित, आइए जानते हैं इसके पीछे की परंपरा, आस्था और विज्ञान- ABPINDIANEWS SPECIAL

 “एकादशी पर चावल क्यों है वर्जित, आइए जानते हैं इसके पीछे की परंपरा, आस्था और विज्ञान- ABPINDIANEWS SPECIAL

देहरादून: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हर महीने में दो बार आने वाली यह तिथि व्रत, उपवास और आत्मचिंतन का अवसर मानी जाती है। एकादशी के दिन विशेष नियमों का पालन किया जाता है, जिनमें सबसे प्रमुख है – चावल या चावल से बनी चीजों का सेवन न करना। पर सवाल यह उठता है कि आखिर एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाए जाते? इसके पीछे क्या धार्मिक मान्यता है और क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार भी है?

             🏵धार्मिक मान्यता🏵

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन “पाप पुरुष” चावल के रूप में पृथ्वी पर विचरण करता है। अगर कोई व्यक्ति एकादशी के दिन चावल खाता है, तो वह उस पाप का भागी बनता है।

इसके अतिरिक्त यह भी माना जाता है कि चावल जल में उगता है और एकादशी के दिन जल तत्व अधिक सक्रिय होता है। जल से उत्पन्न अन्न को खाने से शरीर में तमोगुण और आलस्य बढ़ता है, जो व्रत और साधना के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है।

🏵आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण🏵

आयुर्वेद के अनुसार, उपवास के दिन हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। चावल में जल की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह ठंडा और भारी भोजन बन जाता है। एकादशी व्रत का उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना है, और चावल का सेवन पाचन तंत्र पर अधिक दबाव डाल सकता है।

आधुनिक विज्ञान भी बताता है कि उपवास के दौरान हल्का भोजन या फलाहार करना शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। चावल जैसे भारी भोजन को पचाने में शरीर को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे उपवास का उद्देश्य बाधित होता है।

               🏵आस्था और विश्वास🏵

लाखों लोग देशभर में एकादशी के दिन श्रद्धा के साथ उपवास रखते हैं। श्रीकृष्ण, विष्णु और व्रत कथाओं के भक्तों के लिए चावल त्यागना न सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह उनके आत्मसंयम और श्रद्धा का प्रतीक भी है- गौरव चक्रपाणी✍

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