हिमाचल मुख्य सचिव पद को लेकर सियासी और प्रशासनिक गहमागहमी, ट्रस्टेड अफसर की ताजपोशी पर नजर,,,,
देहरादून: हिमाचल प्रदेश की नौकरशाही और सियासत इन दिनों मुख्य सचिव की कुर्सी को लेकर गर्माई हुई है। मौजूदा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का छह महीने का सेवा-विस्तार 30 सितंबर को समाप्त होने के बाद उन्हें तुरंत हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस कदम से सरकार की मंशा और राजनीतिक समीकरणों पर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
मुख्य सचिव का पद केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सियासी संतुलन और केंद्र-राज्य तालमेल का भी प्रतीक है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार इस पद पर अपने भरोसेमंद अफसर की ताजपोशी करके स्थिरता का संदेश देना चाहती है, जबकि विपक्ष इसे निजी लाभ और वफादारी के आधार पर नियुक्ति का आरोप मान रहा है।
राजनीतिक गलियारों में अब तक चर्चा में शामिल संभावित नाम हैं:
संजय गुप्ता (IAS 1988 बैच): वरिष्ठतम, अनुभवी और मुख्यमंत्री के भरोसेमंद।
कमलेश कुमार पंत (IAS 1993 बैच): उम्र और अनुभव में संतुलित, लंबी कार्यकाल संभावना।
ओंकार चंद शर्मा (IAS 1994 बैच): युवा, ऊर्जावान और प्रशासनिक दक्षता।
अनुराधा ठाकुर (IAS 1994 बैच): महिला अफसर, संतुलन और नेतृत्व का संदेश।
मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर देरी और सियासी जोड़तोड़ ने प्रशासनिक निरंतरता पर सवाल खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले निर्णय से हिमाचल प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक समीकरण दोनों प्रभावित होंगे।
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