हरिद्वार, दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर पर जताई नाराजगी- स्वामी दीप्तानंद महाराज (सनातन धर्म प्रचारक)
हरिद्वार– दिल्ली राजधानी के पावन भूमि में यमुना तट तपस्थली पर श्री केदारनाथ मंदिर का निर्माण कार्य करने का श्री केदारनाथ ट्रस्ट के द्वारा लिया गया परंतु हजारों भक्तों के आस्था लाखों सदियों से विराजमान महादेव का प्राकृतिक के बीच देवभूमि उत्तराखंड में स्थित स्वर्ग हवाओं के बीच रहने वाले देवधि देव महादेव निराकार आदि अनादि शंभू नाथ हैं पर मैं यह कहना चाहूंगा कि देवताओं का प्रधानता स्थान की प्रधानता बहुमूल्य है। जिसका कोई मूल्य नहीं और ना ही दिव्य शक्तियों का उल्लेख किया जा सकता है।
पहाड़ों के बीच विराजमान होने वाले श्रीखंड केदारनाथ अंतर्यामी है वह सृष्टि के रचयिता है सृष्टि के पालनहार हैं और सृष्टि के संहार करता भी हैं परंतु भक्तजनों से मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मंदिर मठ की स्थापना अदृश्य रूप से अंतर्यामी महादेव की कृपा से ही हो पाती है किसी भी प्राचीन धरोहर के ( हू बहू ) कॉपी करके बनाना बहुत गलत बात है आस्था का केंद्र बनकर जरूर तैयार होगी परंतु आने वाले 500 सो साल बाद मंद बुद्धि लोगों के विचार धारणाएं विपरीत प्रभाव लेकर प्रदर्शित करेंगे, और यह सुनने को प्राप्त होगा कि चार धाम में विराजमान होने वाले देवाधिदेव महादेव हर कण में वास करने वाले अंतर्यामी शिव शंकर भोलेनाथ की प्राचीन स्वरूप दिल्ली स्थित केदारनाथ मंदिर ही केंद्र बिंदु है। मूल रूप महादेव शिव शंकर भगवान विष्णु महेश निराकार आदि अनादि काल से ही सिद्ध साबित हैं और कैलाश वाशी भी हैं जिनके साक्षात रूप में हिमालय के बीच विराजमान है काल्पनिक रूप से मंदिर का स्वरूप देकर अपने धरोहर के महत्व खत्म करने के बराबर रणनीति साबित होगा सनातन धर्म आज भी अधर्मी लोगों के लिए राजनीति का मुद्दा बना रहता है आने वाले भविष्य में दूर प्रभाव प्रकट होगी और सनातन धर्म को बहुत बड़े ठेस पहुंचेगी इसलिए मैं आगरा करूंगा कि श्री केदारनाथ का स्वरूप ना देकर देवाधिदेव महादेव के समीप बैठकर प्रार्थना कर नव मंदिर नए नशे के साथ निर्माण करें और भारत का इतिहास और गौरव संपूर्ण विश्व में स्थित भक्त जनों का आस्था का केंद्र विशाल भव्य रूप में बनाएं जिससे आने वाले भविष्य में किसी भी प्रकार का पाखंड या धर्म को व्यापार ना समझा जाए आप सभी उत्तराखंड वासियों से विनम्र प्रार्थना करते हुए यह भी कहना चाहूंगा कि देवाधिदेव महादेव दानी है। उनसे अगर अच्छे भाव प्रार्थना से अनुरोध करें तो आपके दिमाग कल में स्थित बुद्धि में एक से एक नक्शा बनाकर तैयार होगा जिसमें हजारों करोड़ का इन्वेस्टमेंट करके भव्य मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। परंतु प्राचीन धरोहर का स्वरूप देने का दुर्भाग्य कष्ट ना करें क्योंकि सदियों पुरानी प्राचीन धरोहर और चार धाम की महत्व संपूर्ण विश्व में इतिहास के स्वरूप में जाना जाता है।
इतिहास बनाया जाता है लिखा जाता है नकल नहीं किया जाता है अनेक मंदिरों का उदाहरण देकर भक्त जनों को गुमराह कर मंदिर की स्थापना करना कोई खुशी की बात नहीं चार धाम की आस्था संपूर्ण देश विदेश तक प्रचलित है इन्हें छेड़छाड़ नहीं किया जाए और पुरातन तत्व विभाग वाले से अनुरोध प्रार्थना करते हुए कहना चाहूंगा कि कोई भी व्यक्ति अगर प्राचीन धरोहर की नकल बनाते हैं तो उनके ऊपर रोक लगाया जाए।
सनातन संस्कृति संस्कार और आस्था का केंद्र इस पृथ्वी के रक्षक के रूप में विराजमान है इन्हें छेड़छाड़ करने की अनुमति या उनके स्वरूप देकर उनके नाम पर कोई दूसरा मंदिर ना बनाया जाए उत्तराखंड वासियों से भी आगरा करता हुआ फिर से कहना चाहूंगा की ना तो केदारनाथ नाम रखे मंदिर का और ना ही केदारनाथ मंदिर का स्वरूप नकल करके दूसरा मंदिर बनाएं प्राचीन धरोहर आपकी पहचान है और वह पहचान को खत्म करना या पाखंड का रूप देना गलत साबित होगा सनातन संस्कृति एवं धर्म की रक्षा करें आपकी आत्मा भी प्रसंचित होगी।
विशेष रूप से यह भी कहना चाहूंगा कि अगर विवेक वन इंजीनियर महादेव के समीप बैठकर नव निर्माण मंदिर के नक्शा ढूंढेंगे तो विश्वास के साथ कहना चाहूंगा कि महादेव उनके बुद्धि में विराजमान होकर भव्य मंदिर का नक्शा निर्माण करने का दिशा प्रदान करेंगे क्योंकि उत्तराखंड स्थित देवभूमेश्वर भूमि में देवाधिदेव महादेव श्री केदारनाथ स्वरूप में साक्षात विराजमान रूप में रहते हैं और संपूर्ण विश्व की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं कैलाश वासी महादेव का निवास स्थान की महत्व श्रीखंड के बीच में ही सदियों से था और सदियों तक रहेगी
दुर्भाग्य है कि आप देख सकते हैं आज यमुना मां का क्या हाल दिल्ली में हो रहा है क्या यमुना महारानी का सम्मान दिल्ली में होता है संपूर्ण इंडस्ट्री एरिया का गंदगी ने यमुना में प्रवाहित की जाती है स्थान की प्रधानता स्थान से होती है बुद्धिमान और सुयोग्य मार्ग यही है नवनिर्माण मंदिर का नया नक्शा निर्माण कर मंदिर की स्थापना करें प्राचीन धरोहर का स्वरूप ना देकर अपनी आने वाली अनेकों पीढ़ियों को संस्कार और संस्कृति प्रदान करें
विशेष सूचना उत्तराखंड के श्रीखंड में विचरण करते-करते कई साल बीत गए हैं और देवाधिदेव महादेव की अनुकंपा से यह तुच्छ प्राणी के मस्तिष्क में कई विभिन्न प्रकार के नक्शे सनातन धर्म के लिए प्रचलित सम्राट स्वरूप में साबित होने वाले मंदिर का नक्शा विराजमान है अगर आपको आवश्यकता पड़े तो इंजीनियर के बीच बैठकर परामर्श करने के लिए हम सदैव तैयार रहेंगे और आने वाले हजारों साल बाद वह मंदिर का महत्व अपने आप में विशेष महत्व को साबित करेगा परमात्मा के अनुसार किए गए कार्य पर ही परमात्मा विराजमान होते हैं हर युग में नव मंदिर का निर्माण हुआ है कली काल कलयुग में भी इस तरह ही निर्माण होता चला आरहा है और होता ही रहेगा।।
आने वाले भविष्य में यमराज की ऐसी भाव अकल्पनिक मंदिर होगा जो संपूर्ण विश्व का केंद्र बिंदु और आस्था का केंद्र पहचान होगी जहां सभी साइंटिस्ट और साइंस आकर रुक जाएंगे यह अनुभूति भी हमने आदि कैलाश ओम पर्वत स्थित विभिन्न दिशाओं में स्वयं को एकत्रित कर ईश्वर से एकाग्रचित होकर अनुभूति किया था।
संपूर्ण भारतवासियों से क्षमा याचना करते हुए अपना विचार धर्माचार्य होने के नाते आप सब से साझा किया है। धर्म पाखंड नहीं आस्था का केंद्र है सनातन धर्म ही सृष्टि का बहुमूल्यता अखंडता का प्रतीक है,संपूर्ण विश्व के इष्ट देव महादेव है। सनातन धर्म प्रचारक- स्वामी दीप्तानंद महाराज, श्री मां काली अन्नपूर्णा तीर्थ धाम मठ मंदिर पीली पड़ाव हरिद्वार।
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