उत्तराखंड में भाजपा के दो विधायकों के बीच हुआ ‘हरे पुल’ पर विवाद, निर्माण कार्य रुकवाने से मचा बवाल,,,,

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन सत्ता पक्ष भाजपा के विधायकों के बीच ही टकराव शुरू हो गया है। राजधानी देहरादून की पड़ोसी विधानसभा सीटों रायपुर और धर्मपुर को जोड़ने वाले ‘हरे पुल’ को लेकर दोनों सीटों के भाजपा विधायकों के बीच तनाव बढ़ गया है।
दरअसल, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने अपनी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले दीपनगर मोहल्ले से रायपुर विधानसभा के केदारपुरम मोहल्ले को जोड़ने वाले जीर्ण-शीर्ण हो चुके हरे पुल के नए निर्माण के लिए प्रस्ताव पास कराया था। पुल का निर्माण कार्य पिछले तीन-चार महीनों से चल रहा था, लेकिन रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने मौके पर पहुंचकर इसे अचानक रुकवा दिया। इससे मामला गरमा गया।
स्थानीय पार्षद ने जताई हैरानी
स्थानीय पार्षद दिनेश प्रसाद सती ने कहा कि विकास कार्यों के लिए मशहूर रायपुर विधायक उमेश काऊ का यह कदम चौंकाने वाला है। यह पुल दोनों विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ने वाला सराहनीय कार्य था। क्षेत्र में लंबे समय से स्थानीय लोगों की मांग थी कि पुराना पुल जीर्ण-शीर्ण हो चुका है और नए पुल की जरूरत है। बढ़ती वाहनों और लोगों की भीड़ को देखते हुए यह पुल राहत देने वाला साबित होता।
सती ने आगे कहा, “ऐसा नहीं हो सकता कि विधायक को निर्माण कार्य की जानकारी न हो। उन्हें पहले ही पूरी जानकारी दे दी गई थी। फिर भी अचानक निर्माण रुकवाना हैरान करने वाला है।”
धर्मपुर विधायक विनोद चमोली का पक्ष
इस मामले पर धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि रायपुर विधायक उमेश काऊ पुल निर्माण के खिलाफ हैं। शायद उन्हें कोई संदेह रहा होगा या पूरी जानकारी नहीं मिली होगी। इसी कारण उन्होंने अपनी बात रखी। जो भी उनका संदेह है, उसका समाधान कर लिया जाएगा। उमेश काऊ ही स्पष्ट बता सकते हैं कि क्या संदेह है। दीपनगर इलाका उनकी विधानसभा में आता है और जनता की लंबी मांग पर ही यह पुल बन रहा था।
रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने रखी आपत्तियां
रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने मीडिया से सीधे बात करने से इनकार कर दिया, लेकिन फोन पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा, “विकास के लिए विनाश नहीं होने देंगे। यह पुल 2013-14 में रायपुर विधानसभा के लिए स्वीकृत हुआ था, तब इसका बजट 1 करोड़ 90 लाख था। अब 3.5 करोड़ रुपये खर्च करके बनाया जा रहा है।”
काऊ ने आगे कहा कि दीपनगर से केदारपुरम को जोड़ने के लिए पुल बन रहा है, तो क्या उन्हें नहीं पूछा जाएगा? पहले उन्होंने अपनी जेब से 10 लाख रुपये खर्च कर पुराने लोहे के पुल का निर्माण कराया था, लेकिन निर्माण एजेंसी ने बिना उनकी सहमति के लोहा उठा लिया। एजेंसी ने गंदा पानी मंदिर में छोड़ा, जिससे नुकसान हुआ। पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए पुश्तों से भी काफी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा पुल से आगे सिर्फ 12 फीट का रास्ता है, इतने बड़े पुल की क्या जरूरत?
निर्माण एजेंसी का बयान
पुल बनाने वाली एजेंसी देहरादून निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता नीरज त्रिपाठी ने बताया कि दीपनगर से केदारपुरम को जोड़ने वाला यह डेढ़ लेन मोटर पुल है, जिसकी लागत 3.50 करोड़ रुपये है। पुराने लोहे के पुल के बारे में विभागीय रिकॉर्ड में कोई जिक्र नहीं है। वे खुद हाल ही में ट्रांसफर होकर आए हैं, इसलिए उनके संज्ञान में भी ऐसा कुछ नहीं है।
यह पुल धर्मपुर विधानसभा के अंतर्गत स्वीकृत हुआ है। निर्माण के लिए चार दुकानें खाली कराई गईं और चार अन्य दुकानें भी प्रभावित क्षेत्र से हटवा दी गईं। इनमें किसी ने भी आपत्ति नहीं जताई।
यह विवाद सत्ता पक्ष की एकता पर सवाल उठा रहा है, जबकि स्थानीय लोग पुल के जल्द निर्माण की उम्मीद कर रहे हैं।

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