अंकिता भंडारी हत्याकांड में VVIP नाम की चर्चाओं से बढ़ा जनाक्रोश, बदले सियासी सुर, कुछ बीजेपी नेता भी कर रहे है CBI जांच की मांग,,,,

देहरादून। उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे मामले को लेकर सियासी और जनाक्रोश दोनों तेज होते जा रहे हैं। हाल ही में प्रकरण में एक कथित VVIP नाम सामने आने की चर्चाओं के बाद प्रदेशभर में जनता का आक्रोश फिर भड़क उठा है। सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन, सोशल मीडिया पर अभियान और न्याय की मांग को लेकर लगातार दबाव बढ़ने के चलते अब राजनीतिक दलों के सुर भी बदलते नजर आ रहे हैं।
प्रदेश की जनता के तीखे विरोध और पारदर्शी जांच की मांग के बीच अब भारतीय जनता पार्टी के भीतर से भी आवाजें उठने लगी हैं। पार्टी के कुछ नेताओं और जनप्रतिनिधियों का मानना है कि मामले की निष्पक्षता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए, ताकि किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति को बचाने की आशंका पर पूर्ण विराम लग सके। उनका कहना है कि इस संवेदनशील मामले में प्रदेश सरकार को जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए बड़ा और कठोर फैसला लेना चाहिए।
वहीं विपक्षी दल पहले से ही राज्य सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं और आरोप लगा रहे हैं कि शुरुआत से ही मामले को दबाने का प्रयास किया गया। उनका कहना है कि यदि शुरुआत में ही निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होती, तो आज प्रदेश को बार-बार उग्र आंदोलन नहीं देखने पड़ते।

अंकिता भंडारी हत्याकांड अब केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था, महिलाओं की सुरक्षा और सत्ता की जवाबदेही का प्रतीक बन चुका है। जनता साफ शब्दों में यह संदेश दे रही है कि दोषी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार जनदबाव और राजनीतिक संकेतों को ध्यान में रखते हुए सीबीआई जांच जैसे बड़े फैसले की ओर बढ़ती है या नहीं।

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