दिल्ली (गौरव चक्रपाणी) – सोना जिसे भारतीय संस्कृति में समृद्धि और सुरक्षित निवेश का प्रतीक माना जाता है, ने पिछले चार दशकों में कीमतों के मामले में एक लंबा और रोचक सफर तय किया है। आर्थिक परिस्थितियाँ, वैश्विक बाज़ार, मुद्रा की स्थिति और निवेशकों की भावना — इन सभी कारकों ने सोने की कीमत को प्रभावित किया है।
नीचे 1980 से 2025 तक की प्रमुख कीमतों का एक झलक प्रस्तुत है:
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1980 | ₹1,330 |
1985 | ₹2,130 |
2000 | ₹4,000 (लगभग) |
2005 | ₹5,500+ |
2017 | ₹29,700 |
2020 | ₹48,651 |
2025 | ₹85,000 – ₹90,000 (अनुमानित) |
1980 का दशक:
धीरे-धीरे बढ़ते हुए, सोना 1,330 रुपये से 2,130 रुपये तक पहुँचा। यह एक स्थिर दौर था।
1990 का दशक:
कीमतें कुछ हद तक बढ़ीं, लेकिन तेजी नहीं आई। वर्ष 2000 तक कीमत लगभग ₹4,000 के आसपास रही।
2000 का दशक:
आर्थिक गतिविधियों और मांग में उछाल से कीमतें तेज़ी से बढ़ीं। 2005 में सोना ₹5,500 से ऊपर पहुँच गया।
2010 का दशक:
अंतरराष्ट्रीय बाजार की अस्थिरता और महंगाई के डर से निवेशकों का रुझान बढ़ा। 2017 तक कीमत ₹29,700 तक जा पहुँची।
2020 का दशक:
कोविड-19 महामारी, वैश्विक अनिश्चितताएँ और निवेश सुरक्षा के कारण सोना रिकॉर्ड स्तर तक पहुँचा।
2020 में ₹48,651 और 2025 तक इसके ₹85,000 से ₹90,000 तक पहुँचने का अनुमान है।
नोट: ये कीमतें औसत हैं। वास्तविक बाजार दरें समय, स्थान, और टैक्स आदि के अनुसार बदल सकती हैं।
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