उत्तराखंड दूसरे गांव के लोगों ने मचाया शोर तो जान बचाकर भागे लोग, अचानक आए सैलाब ने किया सबकुछ तबाह,,,,,,

चमोली: इस सैलाब में 12 लोग वह गए, जिनमें से 11 ने तो किसी तरह अपनी जान बचा ली पर एक बुजुर्ग अभी भी लापता हैं। चमोली के चेपड़ों गांव में बीते दिन आई आपदा ने सब तबाह कर दिया। लेकिन इस आई आसमानी आफत का शायद टुनरी गांव के लोगों को आभास होने लगा था। लगातार तेज बारिश को देखते हुए गांव के लोगों ने चेपड़ों के ग्रामीणों को खतरे के लिए सतर्क कर दिया था। इसके बाद चेपड़ों गांव के 30 से अधिक ग्रामीण अपने बाजार की तरफ भागे। ग्रामीण अपने वाहनों और दुकानों के जरूरी सामान और कागजात को सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहते थे, लेकिन अचानक आए सैलाब ने उनकी सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया।
इस सैलाब में 12 लोग वह गए, जिनमें से 11 ने तो किसी तरह अपनी जान बचा ली पर एक बुजुर्ग अभी भी लापता हैं। थराली के ग्वालदम तिराहे से करीब छह किलोमीटर दूर शहीद भवानी दत्त जोशी का गांव चेपड़ों सड़क से लगभग 100 मीटर ऊपर बसा हुआ है, जबकि थराली-देवाल सड़क पर गदेरे और पुल के पास बाजार है।
प्रभावित देवी जोशी ने बताया कि शुक्रवार रात करीब पौने बारह बजे उन्हें टुनरी गांव से फोन पर सूचना मिली कि गदेरे में अचानक मलबा और पानी बढ़ रहा है। सूचना मिलते ही गांव के 30 से ज्यादा लोग अपने वाहनों को बचाने और दुकानों से सामान निकालने के लिए बाजार की ओर भागे। जब वे वाहन किनारे लगाकर वापस लौटने लगे तभी गदेरे का सैलाब तेजी से बाजार की तरफ आ गया।
इस सैलाब में देवी जोशी, उनके पिता गंगादत्त जोशी, भाई शंभू प्रसाद, चंद्र दत्त, गिरीश चंद्र, भतीजा सुमित जोशी और अन्य ग्रामीण प्रकाश जोशी, बलवंत, हेमंत सिंह, जसपाल सिंह भी बहने लगे। देवी जोशी करीब दस मीटर तक सैलाब में बहे, लेकिन किसी तरह खुद को बचा लिया।
हालांकि, सैलाब उनके पिता गंगादत्त जोशी को बहा ले गया। उनका पता शनिवार को भी नहीं चल सका। आपदा में बाजार को भारी नुकसान हुआ है। गदेरे पर बना एक पैदल पुल और दोमंजिला पंचायत घर भी सैलाब में बह गए। गांव को जाने वाली सड़क के दोनों तरफ की दुकानें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
स्थानीय निवासी कमला जोशी ने बताया कि वे यहां छोटा-मोटा कारोबार करती थीं, लेकिन सब कुछ बरबाद हो गया। वहीं, आशा देवी ने कुछ कमरों का मकान बनाकर किराए पर दिया था जिससे उनकी रोजी-रोटी चलती थी लेकिन अब वह भी मलबे में तब्दील हो गया है। पुल और गदेरे के आसपास करीब तीन से चार फीट तक मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर जमा हो गए हैं, जिससे स्थिति और भी भयावह हो गई है।

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