उत्तराखंड में मियांवाला के नाम परिवर्तन विवाद पर हुआ समिति का गठन, ज्यादातर वो नाम जो रामजीवाला नाम होने पर दें रहें थे बधाई,,,,,,,
देहरादून: टिहरी राजशाही की ओर से गुलेर राजपूतों को देहरादून में दिया गया मियांवाला क्षेत्र का नाम परिवर्तन करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव के विरोध के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से मामले के पुनः परीक्षण के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है।
सचिव शहरी विकास नितेश झा, क्षेत्रीय विधायक उमेश शर्मा काऊ, देहरादून महापौर सौरभ थपलियाल, नगर आयुक्त नमामी बंसल और क्षेत्रीय पार्षद पूजा नेगी समिति में शामिल हैं। समिति की ओर से जनभावनाओं को ध्यान में रखकर बैठक की जाएगी। विमर्श के बाद समिति रिपोर्ट राज्य सरकार को देगी।
अप्रैल में राज्य सरकार की ओर से भारतीय संस्कृति और विरासत के आधार पर कई क्षेत्रों के नाम बदलने की घोषणा की गई थी, जिसके तहत मियांवाला का नाम रामजीनगर करने का प्रस्ताव था। हालांकि, क्षेत्रवासियों को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ और उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर नाम परिवर्तन न करने का आग्रह किया। क्षेत्रीय जनता के अनुसार मियां की
उपाधि गुलेर रियासत के व्यक्तियों को टिहरी गढ़वाल के शासकों ने दी थी। गुलेर रियासत अब हिमाचल प्रदेश का हिस्सा है, मगर टिहरी गढ़वाल के शासकों ने उन्हें मियांवाला में भूमि आवंटित की थी। यह क्षेत्र वर्तमान में देहरादून में है और गुलेर राजपूतों की पहचान माना जाता है। राज्य सरकार की ओर से नाम परिवर्तन के प्रस्ताव के विरोध में पांच अप्रैल को भाजपा नेता कुलदीप बुटोला के नेतृत्व में बड़ी संख्या में क्षेत्रवासियों ने मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात कर नाम न बदलने की मांग की।
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि नाम परिवर्तन का निर्णय जनभावनाओं के अनुसार ही लिया जाएगा। अब सचिव शहरी विकास नितेश झा ने इसका समाधान निकालने के लिए समिति गठित कर दी है।
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